"कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता.... ......तेरे जहाँ में ऐसा नहीं कि प्यार न हो जहाँ उम्मीद हो इसकी, वहाँ नहीं मिलता" - (निदा फ़ज़ली के ग़ज़ल की कुछ पंक्तियाँ ) किसी भी इंसान को जीने के लिए किन चीज़ों की ज़रुरत हो सकती है? साँस, ज़मीन और आसमां। पहला तो ख़ुदा पैदा करते के साथ दे देता है पर बाकी दो को हासिल करने में सारी उम्र निकल जाती है। कमर टूट जाती है पर दोनों साथ कभी नहीं मिलते। हर पल ज़िन्दगी ये अहसास दिलाती है की कितना मुश्किल है मिलना "अपनी ज़मीन और अपने आसमान" का। एक साथ। जब तक माँ-बाप की ड्योढ़ी पार नहीं करते तब तक लगता है सब अपना है। उनका असमान हमारा होता है, उनकी ज़मीन हमारी होती है। फ़िर वो वक़्त आता है जब हम एक महफू...
Hindi works and my interpretations on their relevance.....