सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
जोदि तोर डाक शुने केऊ न आसे  तबे एकला चलो रे। एकला चलो, एकला चलो, एकला चलो रे!  जोदि केऊ कथा ना कोय, ओरे, ओरे, ओ अभागा,  जोदि सबाई थाके मुख फिराय, सबाई करे भय-  तबे परान खुले  ओ, तुई मुख फूटे तोर मनेर कथा एकला बोलो रे!  जोदि सबाई फिरे जाय, ओरे, ओरे, ओ अभागा,  जोदि गहन पथे जाबार काले केऊ फिरे न जाय-  तबे पथेर काँटा  ओ, तुई रक्तमाला चरन तले एकला दलो रे!  जोदि आलो ना घरे, ओरे, ओरे, ओ अभागा-  जोदि झड़ बादले आधार राते दुयार देय धरे-  तबे वज्रानले  आपुन बुकेर पांजर जालियेनिये एकला जलो रे!                                                                          - गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर  यह एक ऐसी रचना है जिसका समय कभी भी खत्म नहीं होगा। जिस वक़्त यह लिखा गया उस समय भी इसका ...
"वैष्णव   जन   तो   तेने   कहिये   जे   पीड़  पराई   जाणे   रे , पर   दु : खे   उपकार   करे   तो ये   मन   अभिमान   न   आणे   रे।" "सकल   लोकमां   सहुने   वंदे   निंदा   न   करे   केनी   रे , वाच   काछ   मन   निश्चल   राखे   धन   धन   जननी   तेनी   रे।" "समदृष्टि   ने   तृष्णा   त्यागी ,  परस्त्री   जेने   मात   रे , जिह्वा   थकी   असत्य   न   बोले ,  परधन   नव   झाले   हाथ   रे।" "मोह   माया   व्यापे   नहि   जेने ,  दृढ़   वैराग्य   जेना   मनमां   रे , रामनाम   शुं   ताली   रे   लागी ,  सकल   तीरथ   तेना   तनमां   रे।" "वणलोभी ने कपटरहित छे, काम क्रोध निवार्या रे, भणे नरसैयॊ तेनु दरसन करतां, कुल एकोतेर तार्या रे ॥" ये प्रार्थना पंद्...
दोस्ती एक ऐसी चीज़   है जो   हर किसी की किस्मत में नहीं होती। अच्छे दोस्त और सच्चे दोस्त में बहुत फ़र्क होता है। किसी भी राह पर निकल जाईए , कोई न कोई साथ के लिए मिल ही जायेगा। अकसर ऐसे साथ को हम   दोस्ती समझ बैठते हैं। जो शायद ग़लत भी नहीं है क्योंकि ये एक ऐसा   नायाब रिश्ता है जो ढूँढने पर भी नहीं मिलता। दिल हमेशा से ऐसे पल ढूंढता रहता है जहाँ उसे सुकून और फुर्सत का अहसास हो। सच्चा दोस्त वो नहीं जो सिर्फ़ मुसीबत के वक़्त काम आए। सच्ची दोस्त तुम होगी जब तुम बिना किसी उम्मीद के अपने अपने दोस्त को संभाल सकोगी।   खून के रिश्ते हम लेकर पैदा होते हैं। पर दिल का रिश्ता जैसे बड़े होते हैं वैसे जुड़ता जाता है। ये भी एक तरीका है कुदरत का हमें अहसास दिलाने का की हम अगर ख़ुद से भी रिश्ते जोड़ें तो वो ग़लत हो सकते हैं। हमेशा किस्मत और दूसरों   को कोसना हमारी फ़ितरत नहीं बन जानी चाहिए।   मैं अकसर य...